#आनंद
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आनंद शब्द का कोई पर्याय ही नहीं होता, आनंद स्वयं
आत्मचेतना का सहज स्वभाव है।।
आनंद कोई वस्तु, व्यक्ति और परस्थिति गत नहीं होता,
यह सत्य है ,त्रिकाल से बाधित नहीं होता।।
आनंद प्रेम का आविर्भाव है, त्याग बलिदान और सहिष्णुता से विभुषत होता है।।
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