संसार में सुख और दुख दोनों विद्ममान हैं, यहाँ सुख के साथ दुःख और दुःख के साथ सुख जुड़ा होता है, व्यक्ति इसलिए दुःखी होता है कि वो केवल सुख चाहता है, जबकि संसार मे सुख और दुःख की प्राप्ति सम्भव नहीं हैं, इंसान बाह्यजगत में आनंद की खोज करता हैं, इसलिए उसे आनंद की प्राप्ति नहीं होती, आनंद की प्राप्ति के लिए आत्मचिंतन करना पड़ता हैं, जिससे हमारा स्वयं से साक्षात्कार होता हैं और वो हमें पूर्णतः संतुष्ट करता हैं और जब हम पूर्णतः संतुष्ट हो जाते हैं तो हमें आनंद की प्राप्ति होती है।।
#आनंद