आज रंगमंच भी रो रहा है,
तुम्हारी ऐसी विदाई पर..
कुछ इस अदा से तुमने अपना,
अभिनय बदल दिया।
आँखें तुम्हारी होंठों से पहले,
सारे जज़्बात ज़ाहिर करती हैं।
और तुम्हारी आवाज़ की खनक,
तुम्हारे सारे हालात ज़ाहिर करती हैं।।
की इस तरह से यूँ अचानक जाता हुआ,
मैंने मेहमान नहीं देखा।
हाँ की आज तक मैंने,
बोलती आँखों वाला,
तुम जैसा इंसान नहीं देखा।।
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