#संबंधित
माँ की ममता की दास्ताँ है सदियों पुरानी,
पिता की अनकही - अनसुनी कहानी ,
पिता प्रेम का सागर है ,
सागर में जितनी लहेरे उतने बलिदान,
खाली जेबों से भी भरे भंडार ,
मिली न भाषा कोई इस प्रेम संबंधित ,
इसलिए बनी नहीं कोई परिभाषा ।
- Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111409141

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