*मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बैठ जाऊं जनाब...*

*तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लौटा सकोगे...*🖤

Hindi Shayri by Shaba Shaikh : 111398462
Rudrarajsinh 4 years ago

बाते है, जो कभी रुकती नहीं।

some pain 4 years ago

"न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला, वो लम्हे जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए !!"

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