उस दिन जब


उस दिन जब
   मन सपने बुनने 
   का कारिगर न रहे।
   हिम्मत की तुरपाई 
   उधड जायँ ।
   जोश बेस्वाद हो जाये
   ज़ुबाँ नमक से भी ज्यादा
   खारी हो जाये।
   और ज़मीं आसमां से भी 
    बडी लगे।

    समझ लेना तब विकलांगता 
    आ गई  है तुम्हें 
    अंगो का न होना वर्ना 
     कोई विकलांगता नहीं।

Hindi Poem by Neelam Samnani : 111397529

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