मैं गरीब हु या अमीर,मुजे कहा खुल के जीने का हक़-इ-आम है. सायद इतनी ही है औकात तेरी,मेरा वक्त तो यूँ ही बदनाम है .

अरे लड़की है ये क्या कर लेगी,इसका तो बस रसोई में ही काम है .सायद कमी तेरे संस्कारो में है ,मेरे संस्कार तो यूँ ही बदनाम है

लड़कियों की छोटी ड्रेस से तेरा मूड बन जाता है,तेरी हवस का यही अंजाम है.शायद खोट तेरी नज़रोमे है, कपडे तो यूँ ही बदनाम है .

आसिफा,दामिनी,प्रियंका रेड्डी के साथ साथ,तूने जलाया मुझे भी सरेआम है,शायद राख जैसी बुद्धि है , उम्र तो यूँ ही बदनाम है .

मोहबत्ती जलाने से वापिस नहीं आ जाऊंगी माई,निर्भया मेरा नाम है. शायद अच्छी है किस्मत तेरी, ये कानून तो यूँ ही बदनाम है .

तेरी खुदकी बहन पे आया तो,हाज़िर शिकायतों के पैगाम है, तेरी नियत ही है जानवरों से भी गयी गुज़री इंसानियत तो यूँ ही बदनाम है.

फूलो की कली जैसी मासूमो के चारित्र्य से खेलना , अब तो इस दुनिया में आम है. शायद गलती तेरी नियत में है , मेरा लड़की होना तो यूँ ही बदनाम है.
@n.i.r.a.l.i.6_4

Hindi Poem by Nirali : 111394900

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