"मुट्ठी भर रंग"

प्रेम में लिखे गये
कहे गये किस्से
हर पहलू को चूमती शब्दों की तितलियाँ हैं
जो जानती हैं
ये रंग चुराने के लिए
साँसें ही नहीं
सामर्थ्य भी जुटानी पड़ती है

ये किस्से महज़ किस्से तो नहीं
आसमान से उधार लिये गये
मुट्ठी भर रंग से
हाथों पैरों में लगाया गया ; आलता है

इन तितलियों के परों के रंग
प्रेम से जुड़ी
साँसों की प्राचीर हैं
इनको छूने से हाथों पर रह जाने वाले रंग
सामर्थ्य के शिलालेख

#pranjali ...

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111368092

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