आओ कि मुहब्बत की फिर वो बात करनी है
कुछ किस्से सुनाने हैं एक मुलाकात करनी है

तेरे पहलू के रंज़ों गम मेरी आँखों के आँसू हैं
होंठों पर सजे खुशियाँ वो बरसात करनी है

तेरे दामन की रंगत में ना जाने साज़िशें कितनी
चटक रंगों की निगहबानी सारी रात करनी है

मेरी जुल्फों में उलझी थी तेरी कमीज की बटन
तेरी बाहों में सिमटने पर वही करामात करनी है

तेरी जीस्त का मौसम कुछ ऐसा रहे मेरे हमदम
मुहब्बत के चिराग से रोशन तेरी कायनात करनी है

#pranjali
#Aspect

Hindi Shayri by Pranjali Awasthi : 111367186

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