जिंदा रहने के मौसम बहुत हे मगर, जान देने की रुत रोज आती नहीं।
हुस्न और इश्क, दोनों को रुसवा किया, खून में नाहने की रुत रोज आती नहीं।
कर चले वो फिदा, जानो तन साथियों, अब हमारे हवाले वतन साथियों।
#भारतीयसेना

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