क्या याद है तुम्हे....? तुमने उसके लिये मेरा हाथ छोड़ा था....
क्या भुल गयी तुम....? तेरी ख़्वाहिशें पूरे करने के लिए मैंने अपने सपनों को सुलाया था।
क्या बता दी वो बातें जो सिर्फ तेरे मेरे बीच हुयी थी....
क्या उसके भी कानों में सुना दी वो धून जो तुम मेरे लिए गुनगुनाती....
क्या बताया उसने, तुम्हारी साँसो की हवा जब कान को छुती है तब पुरे बदन में वो कैसे नाचती है।
याद है, तुम्हारा जो बचपन का वो रोता हुआ फोटो खो गया था.... दरसल वो मेरे पास है, तुम्हारा दिल ना सही फोटो तो चुराली हमने....और सुनो मेरी वो घड़ी है क्या तुम्हारे पास जो मैंने जानबूझकर भूली थी....कमबख़्त वो घड़ी तो नहीं चाहिए,
हो सके तो तुम्हारा वक्त चाहिए।
जब तुम्हारी बहस होती है तो क्या आज भी तुम जीत जाती हो?
क्या तुम्हारे रूठने पर उसे भी नींद नहीं आती?
क्या महसूस हुई मेरी किमत जब उसने तुझे छोड़ा ?
वाकीफ हूँ तू खूब रोया होगा,तन्हाई में सोया होगा।
कल किसी और से जाना के तुझे मेरी याद आ गयी, पता था मुझे....कोई नई बात नहीं।
बताया तो था, कभी याद आए तो जरा पीछे मूड के देखना।
मेरी परछाईं हमेशा तेरे साथ होगी।
चलो, अब लौट आवो.... मेरी जखमों को जरासी हवा दे देना,
फिर से मेरे कानों में वो धून गुनगुना देना।
और कोई पूछे तो मेरी इस कहानी को तुम्हारी बता दे ना।

#Kavyotsav -2

Hindi Poem by Chaitanya Kadam : 111340345

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now