ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकती तू भी नही, मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत की बुरी तू भी नही,(Meera) मैं भी नही...!!


Miss you....

Hindi Shayri by Prakash Vaghasiya : 111331917

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