पौंधा तो मैंने भी लगाया था प्यार का।
मगर उसपे नफ़रत के फुल खिलें।
शायद दिलसे परवरीश नहीं की, वरना पत्थर पे भी फ़ुल खिलते है।

Hindi Good Evening by Suryakant Majalkar : 111326185

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