आज देश दौड़ रहा हैं,
NRC और CAA की दौड़ में...

कोई फूंक रहा है तो कोई तोड़ रहा है,
NRC और CAA की दौड़ में...

ज़ख्मी हो रहा है देश का ज़र्रा ज़र्रा,
NRC और CAA की दौड़ में...

ए बेलगाम दौड़ ने वालों थोड़ा ठहरो - देखो, क्या सही है सब,
NRC और CAA की दौड़ में...

शिक्षा के मंदिर में ये कैसा जन संहार का तांडव हैं,
खा म खा घर से बेघर हो रहा हैं,
NRC और CAA की दौड़ में...

Hindi Poem by Ikonic Vishal : 111322298

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