चलो कहीं दूर चलें जहाँ

बोलने पर सख्तियाँ न हों
गले में रिश्तों की तख्तियाँ न हों
आँखों में झाँकती मुहब्बत ही मिले
गिले शिकवों की नर्मियाँ न हों

चलो कहीं दूर चलें जहाँ
धड़कनों पर फब्तियाँ न हों
मचलती हों ख्वाहिशें और दूरियाँ न हों
एक जमीं हो परछाईं हो एक
हवा भी अब हमारे दरम्याँ न हो

चलो कहीं दूर चलें

#सरगोशियाँ ...

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111314287

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