जमीं ने फ़लक को जिस जगह चूमा था
मेरे मन के मरूस्थल पर
वो जगह
हृदय की गहरी तलहटी में है
हर रात नींद में स्वप्नों पर पाँव रखकर
मैं वहाँ जाती हूँ
ताकि वहाँ जाकर
प्रेम की एक कविता उगा सकूँ

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111303133

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