कोन हूं में

कोन हूं में,
दुनिया में आके माता-पिता का वात्सलय पाया,
उनकी प्यारी बेटी हूं में

कोन हूं में,
सबसे पहला तोहफा भाई के रूप में पाया,
उसकी नादान बहन हूं में

कोन हूं में,
एक ही जनम में दुबारा माता-पिता का प्यार पाया,
उनकी प्यारी बेटी सी बहू हूं में

कोन हूं में,
जीवन के एक पडाव पे आके अपने जीने का आधार पाया
उनकी साथी अर्धांगिनी हूं में

कोन हूं में,
एक ही जीवन में दुबारा जनम पाया
अपनी ही परछाई की मा हूं में

- किंजल पटेल (किरा)

Hindi Poem by Kinjal Patel : 111302968

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