हर रोज उगते सूरज को साम से मिलने के लिए ढलते हुए देखा है।

एक ओर बातीकी बात रखने के लिए मैंने मोम को रोम रोम जलते हुए देखा है।।

- परमार रोहिणी " राही "

Gujarati Romance by Rohiniba Raahi : 111296400

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