केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे, मुझे देखते ही तुम्हारे पैर तुम्हे मेरी और खीच लाये थे.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे, तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान मुझसे मिलने की ख़ुशी बयान करती हो.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे,तुम्हारी मायुश सी आँखे बोहत कुछ केहना चाहती हो.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे, तुम्हारी ठिठोली एक बच्चे की तरह बहार आती हो.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे,हम दोनों कुछ इसतरह खड़े थे जेसे की हवा भी सास ना ले पाए.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे,बिखरी हुई तुम्हारी झुल्फो को में सवार ता रेहता था.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे, तुमने अपनी गोद सिर्फ मेरे सोने के लिए सजाई हो.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे, तुम्हारे गुलाबी होठो के और मेरे होठ खिचे चले आते थे.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे,हमारे आशु की हर एक बूंद में सिर्फ प्यार की परिभाषा छलकती हो.

केसे भूलू में उस लम्हों को जिसमे,हमने एक दुसरे को जिया है और समजा है.
केसे भूलू में उस लम्हों को जिस लम्हों ने हमें प्यार की आज़ादी दी हो.
केसे भूलू में उस लम्हों को जिस लम्हों ने हमारे प्यार को नई उचाई दी हो.

सिर्फ तुम्हारे लिए मेरी प्रियतम.

Hindi Poem by Hiren Shah : 111283086

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