हर शाम में अपनी फ़रेब की दुकान बंद कर के जब घर आता हूँ |
मेरे बेटे का हसता चेहरा देख खुदको अमिर केह पाता हूँ
वो मुझ पर भरोसा करता है में उसकी दुनिया चलाता हूँ
उसको बाहों में लेते खुद को रोशन पाता हूँ |
बस एसे ही में हालात से लड पाता हूँ |

Hindi Microfiction by Ami : 111277446

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