चंड मुंड विनाशिनी मां खप्पर वासनी तू ही धरा तू ही अंबर हे
शिवशक्ति वासनी
निज मन पवित्र से ध्यान करू मां
मैं तेरी शक्ति उपासना करू
वेग भी डरे आवेग से तेरे
दैत्य भी डरे त्रिशूल से तेरे
अपने चरण में मां अब मुझे
स्थान दो
बेटी हूं तेरी आंचल में अब
थाम लो
मन आश्रित तन आश्रित
ध्यान में अब मग्न हूं
शक्ति उपासना मैं लीन
हो जाऊं,@shubh
मां तेरी अब शरण में हूं
???? नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जय माता की ????

Hindi Poem by Shubhra Dixit : 111262831

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