મૃગતૃષ્ણા - પારો 5 years ago

कला से कृति, कला से संस्कृति, कला से खिलती मन की वृत्ति। कला ही स्फूर्ति, कला ही मूर्ति, कला से निखरती हिंदुस्तान की धरती!! *धन्य होंगें वो दर्शक तलब्दार, जिन्हें इस कलाकार को सुनने का अवसर मिलें बार बार!!* @ अस्तु: ~ मन की तरंग ~

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