जो चला गया था इस शहर से मै वापस , अब कुछ बन कर आऊगा ।तेरे लिए ना सही पर खुद की निगाहों मैं उठ का आऊगा । की तू भी क्या याद करे किसको ठुकराया था , अपने पैरो के नीचे किसी के सपनों को दबाया था ।

Hindi Poem by short sweet : 111260251

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