आज महिला सशक्तीकरण के युग में मुझे रक्षा बंधन को भी पुनः परिभाषित करने का मन है, कब तक बहिने पुराने जमाने के सोच अनुसार भाइयो की कलाई में इसलिए राखी बांधेगी की वो उनकी रक्षा करें , उनके सहायक होंगे आदि। आज तो राखी बांधनी का अर्थ होना चाहिए की हम भाई और बहन एक धरातल पर है, हमें एक से अवसर है और हम दोनों का आपस का सामंजस्य बना रहे ,हम एक दुसरे की निजता को, माणपरिवार को , इच्छा को सम्मान दे, परस्पर इसकी रक्षा करे