ज़िद्दी मन....
कुछ बेपरवाह सा....
युँ चंचल है....
पल मे हज़ार बातें करता....
मुझे अपने घेरे मे घेर लेता....
ज़िद्दी मन....
हर रंग के ख्वाब देखता....
फिर कहीं उन मे ही खो जाता....
कुछ बेपरवाह सा....
युँ चंचल है....
कभी खुद से ही हारता....
तो कभी खुद से ही जीत जाता....
वो अपने आप से ही लड़ता रहेता....
और वजेह बाहर ढूंढता रहेता....
उफ़....ये ज़िद्दी मन....!!!!
~ By Writer_shuchi_
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