आज साँझ ढले तुम फिर याद आये,
आंखों से फिर बरसात लाये,
अब ये दर्द-ऐ-दिल सहा न जाये;
सब कहते है कि भुला दूं तुम को,
पर कैसे समझाऊ सब को
मेरी रूह में हो तुम समाए!

Hindi Shayri by Shubham Prajapati : 111193224

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now