#काव्योत्सव 2
(प्रेम और रहस्य)

*मेरे सवाल*


मैं बर्फ ही तो थी
पिघल गई
तुम तो पत्थर थे
रेत क्यों हुए

मैं नदी ही तो थी
उछल गई
तुम तो सागर थे
तूफ़ां क्यों हुए

मैं हवा ही तो थी
गुजर गई
तुम तो पेड़ थे
उखड़ क्यों गए

मैं गुल ही तो थी
झर गई
तुम तो जड़ थे
हिल क्यों गए

मैं तारा ही तो थी
टूट गई
तुम तो ब्रह्मांड थे
कण क्यों हुए

Hindi Poem by sangeeta sethi : 111165843

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now