#काव्योत्सव2 (प्रेरक)

'लक्ष्य'

उठ जाग लक्ष्य कोई चुन लो,
निज हृदय की वाणी सुन लो।
कोई काम नहीं मुश्किल जग में।
कुछ करने का तुम बस प्रण लो।।

    कुछ ठान अगर तुम ठानोगे,
    तो हार कभी ना मानोगे।
     ना हो निराश गर हार गया।
     तेरा बस एक प्रयास गया।।

एक सबक नया तुमने पाया,
इस हार ने भी कुछ सिखलाया।
अपनी भूलें पहचान चलो।
कोई लक्ष्य नया फिर से चुन लो।।

नृपेन्द्र शर्मा "सागर"

Hindi Poem by Nirpendra Kumar Sharma : 111164022

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