चट्टान #काव्योत्सव2 #kavyotsav2 # भावनाप्रधान #कविता

चट्टान

वो चट्टान थी
उसे दिखना ही था मज़बूत

जाने कितने तूफानों और
दरियाओं के वेग को
आत्मसात करना था उसे

सो दिखाती रही खुद को
अडिग , निश्चल

मगर भीतर कहीं उसे भी था इंतज़ार
" एक पत्थर " से " अहिल्या " हो जाने का
शायद
हर चट्टान की तरह ...........

@अंजलि 'सिफ़र'

Hindi Poem by Anjali Cipher : 111162545

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