#KAVYOTSAV -2 #काव्योत्सव

तुम्हारा आना
जैसे, एनेस्थेसिया के बाद
रूट केनाल ट्रीटमेंट!

जैसे ही तुम आई
नजरें मिली
क्षण भर का पहला स्पर्श
भूल गया सब
जैसे चुभी एनेस्थेसिया की सुई
फिर वो तेरा उलाहना
पुराने दर्द का दोहराना
सब सब !! चलता रहा !

तुम पूरे समय
शायद बताती रही
मेरी बेरुखी और पता नही
क्या क्या !
वैसे ही जैसे
एनेस्थेसिया दे कर
विभिन्न प्रकार की सुइयों से
खेलता रहता है लगातार
डेटिस्ट!!
एक दो बार मरहम की रुई भी
लगाईं उसने !!

चलते चलते
कहा तुमने
आउंगी फिर तरसो !!
ठीक वैसे जैसे
डेटिस्ट ने दिया फिर से
तीन दिन बाद का अपॉइंटमेंट !!

सुनो !!
मैं सारी जिंदगी
करवाना चाहता हूँ
रूट केनाल ट्रीटमेंट !!
बत्तीसों दाँतों का ट्रीटमेंट
जिंदगी भर ! लगातार !

तुम भी
उलाहना व दर्द देने ही
आती रहना
बारम्बार !!
आओगी न मेरी डेटिस्ट !!

Hindi Poem by Mukesh Kumar Sinha : 111162338

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