#काव्योत्सव2
विषय - प्रेम

ये दूरी अच्छी है
ये है तो जिंदा सारी यादें है
ये है तो मिलने के वादे है
दो को रख कर जुदा
खुद बड़ी मचलती है
ये दूरी अच्छी है,

ये सोचा है कभी?
दूरी न होती दो किनारो के बिच
नदी का ये पानी कहां बहता ये फिर
नदी को मिलाने दरिये से
हा इसकी भी थोड़ी अरजी है
ये दूरी अच्छी है,

एक दिन ये भी कर जाएगी
हमको मिलाने मे
ख़ुद ही मिट जाएगी
चारो ओर तूफान
यही एक कश्ती है
ये दूरी अच्छी है
ये दूरी अच्छी है!!

Gujarati Poem by Hitendrasinh Parmar : 111161540

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