#kavyostav -2. "सुख की तलाश में"

मिला मुझे बंगला गाड़ी,
लगा की मुझे सुख मिला,

यह पाने की भागदौड़ में,
न मुझे शुकुन मिला,

ना मिली चैन की नींद,
ना निकाला परिवार का टाईम,

मशीन शा बन गया मैं,
निकला मैं सुख की तलाश में,

आखिर एक बच्चे ने सीखाया,
आनन्द लो, आनन्द दो,

गौ ओ में देखा,पंखिओ में देखा,
मासुम बच्चों में देखा,

देने में जो आनंद है,
आनन्द का मजा लेते देखा,

खत्म न हुईं सुख की तलाश,
आज आनंद से जीना सीखा।

- कौशिक दवे

Hindi Poem by Kaushik Dave : 111161039

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