कहाँ से ​लाऊ हुनर उसे मनाने का​​

कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का​​

मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी​​

क्यूंकी जुर्म मैंने किया ​था ​उससे दिल लगाने का​ !!!!

Hindi Shayri by KAPIL KOTHARI : 111160341

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