मेरी लिखी गई कुछ पंक्तियां आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में - -


भूल जाते है हम कि हमे बोलने का अधिकार नही,

भूल जाते हैहम कि हमे रोने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे स्वतंत्र विचार रखने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे कुछ कहने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे इस अद्भुत दुनिया मे घूमने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे पढ़ने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे अपनी रुचियों का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हम नारी हैं जिसे पुरूषों की इस दुनिया मे जीने का ही अधिकार नही,



- पूर्णिमा 'राज'

Hindi Poem by पूर्णिमा राज : 111157581
krishna upmanyu 5 years ago

किसने कह दिया आपसे की ये दुनिया पुरुषो की,,,, ये दुनिया सदैव से ही शक्ति की है,, शक्ति मतलब नारी की ही है,,, वही है जो इस दुनिया को आगे बढ़ाती ,,,,, में भी आपकी पंक्तियों में कुछ पंक्तिया मिलान करता हूँ,,, उन पुरुषो के लिए जो नारी का सम्मान नही करते,, की क्यों,, भूल जाते है हम की हमे जिसने 9 महीने कोख में पाला,,, जिसने दे के अपना आँचल हमको सींचा,,, जो सो गई भूखी मगर पेट हमारा पाला,,, उस नारी का अपमान कर रहा मत गिर तू इतना नीचा,,,

पूर्णिमा राज 5 years ago

वो आप बखूबी जानते होंगे कि आप कैसे है मुझे ज्यादा बात करना पसंद नहीं है उम्मीद है आगे से आप मुझे परेशान नहीं करेंगे

KiNg AJ 5 years ago

ku ji m koi kharab hu kya

पूर्णिमा राज 5 years ago

किंग जी हमें आपसे बात नहीं करनी है

पूर्णिमा राज 5 years ago

किंग जी हमें आपसे बात नहीं करनी है

KiNg AJ 5 years ago

ap inbox m aoo

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