बाकी है !
लूट चुका है शहर मेरा
अब क्या जीना बाकी है ।
टूट चुका हूं इस कदर में
अब मौत आना बाकी है ।
झख़्म इतने गहरे है कि
नासूर बनना बाकी है ।
ठुकराया है खुदा ने भी मुझको
अब काफ़िर बनना बाकी है ।
कहने को बहुत कुछ है
पर वक़्त कहा बाकी है ।
पत्थर बन चुका हूं अब तो
बस मंदिर बनना बाकी है ।
– Aryan suvada