बाकी है !


लूट चुका है शहर मेरा

अब क्या जीना बाकी है ।

टूट चुका हूं इस कदर में

अब मौत आना बाकी है ।

झख़्म इतने गहरे है कि

नासूर बनना बाकी है ।

ठुकराया है खुदा ने भी मुझको

अब काफ़िर बनना बाकी है ।

कहने को बहुत कुछ है

पर वक़्त कहा बाकी है ।

पत्थर बन चुका हूं अब तो

बस मंदिर बनना बाकी है ।

– Aryan suvada

Hindi Poem by ARYAN Suvada : 111157330

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