#kavyotsav -2

मैं अपनी रसोई की दराजों में पेन रखती हूं
तेल की चिपचिपाहट अक्सर हावी होने लगती है अक्षरों पर!
लिखते हुए रिक्तता आ जाती है बीच-बीच में कहीं
जो रिक्त छुट गया,बस वही..
वही तो कहना होता है हमें
इन दिनों परीक्षा का पेपर हल करने में लगी रहती हूं
वही! जिसमें लिखा होता है
-----रिक्त स्थानों की पूर्ति किजिए!
तुम्हारे साम्राज्य में मेरी सेंध
रिक्त पद भरने तक की है केवल
यूं तुम अपना ताज न संभाला करो!
मैंने रसोईघर में कमा रखें हैं ताज बहुत..
जो बड़े सुकून से रहते हैं
छोटे-छोटे तिलचट्टों के बीच!

#लता

#बस #ऐसे #ही !

Hindi Poem by लता खत्री : 111156432

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