देश की तस्वीर बदलने के लिए हर नागरिक को भी बदलनी होगी अपनी सोच
सनातन से ही किसी भी देश अथवा राज्य के विकास में हमेशा उस देश अथवा राज्य में रहने वाली जनता का अहम योगदान रहा हैं। क्योकि उस देश मे रहने वाले हर नागरिक के द्वारा देश के विकास एवं उन्नति के लिए आवश्यक हर कर्तव्य और दायित्व का निर्वहन पूरी कर्तव्यनिष्ठता के साथ किया जाता हैं। जिसके कारण वह देश शीघ्र अतिशीघ्र विकास के पथ पर एक विशेष आयाम गढ़ने में सफल हो जाता हैं।
आज बर्तमान परिवेश में विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत भी समूचे विश्व में विश्वगुरु के रूप के स्थापित होने के उद्देश्य से निरंतर विकास के पथ अग्रसर हो रहा हैं। और भारत देश की हर सरकार द्वारा देश को वैश्विक रूप से सर्वाधिक विकासशील बनाने हेतु हर सम्भव प्रयास निरंतर रूप से किये जा रहे हैं किंतु सरकारों द्वारा किये गए इन सब प्रयासों के बाबजूद भी भारत देश विश्व गुरु के रूप में स्थापित होने वाले सपने से बहुत दूर दिखाई देता हैं।
क्योकि आज बर्तमान समय में समूचे विश्व में विश्वगुरु के रूप में स्थापित होने का सपना देखने वाले भारत देश में निवास करने वाली लगभग 125 करोड़ जनता द्वारा निरंतर देश के विकास और उन्नति के लिए आवश्यक छोटे कर्तव्यों एवं दायित्वों जैसे ईमानदारी से मतदान, जल संरक्षण, बिजली संरक्षण, कर भुगतान जैसे कार्यो का भी अनुपालन नही किया जाता हैं। बल्कि देश के विकास हेतु सरकार द्वारा चलाई जाने वाली आवश्यक योजनाओं का भी दुरुपयोग उच्च स्तर पर किया जाता हैं।
तब इस अवस्था में भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना लेकर विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर होने वाले 125 करोड़ जनता वाले देश के देशवासियों द्वारा अपनी सोच में परिवर्तन लाये बिना देश की तस्वीर में विकास रूपी परिवर्तन लाने की बात करना बेमानी सी प्रतीत होती हैं।
एड. नवीन बिलैया(निक्की भैया)
सामाजिक एवं लोकतांत्रिक लेखक