रोशन हुआ हैं ये आसमां पूरा सूरज के उजालों से

तो कुछ देर तपन ये सूरज की तो झेलनी ही पड़ेगी।।
एड. नवीन बुंदेलखंडी
सामाजिक एवं लोकतांत्रिक लेखक

Hindi Shayri by एड. नवीन बिलैया लेखक : 111076585

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now