अपने उन वीर सैनिकों को समर्पित जो हमारी कैसी-कैसी विकट परिस्थियों में सीमा पर डटे रहकर हमारी रक्षा करते हैं:-

कहीं बर्फ़ कहीं कोहसार और कहीं उड़ती धूल का कहर,

इतने मुश्किल हालातों में लगती नहीं कभी खुद की ख़बर।

गर है दिल तो रहो ज़रा इन गोलियों व बारूदों की छाँव में-

पता न चलेगा कैसे कट गया एक पूरी ज़िंदगी का सफर।।

पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित

अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)

English Shayri by Anshul Pal : 111061753

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