हर इंसान में देखा हैं मैंने वो जिसे तुम मानते हो।
हर किसी से सुना सदा मैंने जितना तुम उसे जानते हो।।
उसके बाद भी करते हो ऐसी नादानियां तुम कि
तब लगता हैं शायद तुम उसे सही से नही पहचानते हो।।

एड. नवीन बिलैया(निक्की भैया)
सामाजिक एवं लोकतांत्रिक लेखक

Hindi Shayri by एड. नवीन बिलैया लेखक : 111042040

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