#kavyostav

मंझर खुब है पर जहाँ अभी बाकी है
जुबाने है पर हम-ज़बाँ अभी बाकी है

कुछ ख्वाईशें मुद्दत सें सिकुड पडी है
शायद मुकर्रर आसमाँ अभी बाकी है

देखी सुनी है दुनिया भर की खुदाई
रूहानी हो ऐैसे निशाँ अभी बाकी है

ठहरी है फितरत जमी हुई बर्फ जैसे
पिघले जो ऐैसी रवाँ अभी बाकी है

Hindi Shayri by Kedar manjare : 111034999

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