राष्ट्रिय काव्य लेखन प्रतियोगिता २०१८
#Kavyotsav

प्यार का संगम-

नफ़रत की अविरल धारा में
प्यार का पानी बरसे
कुछ ऐसी ही कल्पना होती है
मन में ...
पर नफ़रत सदा ही
प्यार को तरसे |

नफ़रत हो न कभी
सदा प्यार ही प्यार रहे
पर होगा क्या ऐसा कभी
जब तक घृणा किसी से रहे |

प्यार का बादल घिर जाये
घृणा की बदबू तक न आये
नफ़रत बिजली की तरह
मिट्टी में मिल जाये|
बस प्यार भरी ...
सावन की घटा छाये|

प्यार का संगम दिखे
हर दिल में
नफरत के पोखर सूख जाये
कुछ ऐसी ही कल्पना
होती है मन में
प्यार ही प्यार सदा बरसे
अपने वतन में |
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सविता मिश्रा 'अक्षजा'

Hindi Shayri by Savita Mishra : 111033418

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