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आ घर लौट चलें - 2

नाटक 'आ घर लौट चलें'के संदर्भ में


विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण की भयावहता को देख कर, इससे बचने के उपायों को बताते हुए जनता में जागरूकता लाने के लिए यह नाटक लिखा गया है । एक परिवार में, स्वाभाविक सहज संवादों के माध्यम से, समाज में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है । भारतीय सभ्यता , संस्कृति और परंपराओं के वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करते हुए, आज की स्थिति में वे सब कितनी कारगर हैं, यह भी बताने का प्रयास किया गया है साथ ही कोरोनावायरस का एकमात्र रामबाण इलाज, घर पर ही रहने पर विशेष बल दिया गया है ।

लेखिका- नीलम सक्सैना 'जयद' संपर्क सूत्र - 90129 19330

पात्र- परिचय

1. डॉ राजन - सरकारी डॉक्टर है, उम्र 35 वर्ष

2. सीमा - डॉ राजन की पत्नी, उम्र 33 वर्ष

3. परी - डॉ राजन की पुत्री, उम्र 8 वर्ष

'आ घर लौट चलें' ( एकांकी)

लेखिका- नीलम सक्सैना 'जयद'

(दृश्य - एक घर की लॉबी का दृश्य है जहां पर हवन किया जा रहा है । छोटा सा हवन कुंड है, उसके आसपास सीमा , राजन और परी खड़े हुए हैं ; एक तरफ चार कुर्सियां पड़ी हुई है । )

पर्दा खुलता है ।

(शंखनाद और घंटे की ध्वनि हो रही है, सीमा शंख तथा परी घंटा बजा रही है और डॉ राजन ताली बजा रहे हैं । सीमा शंख बजाकर पूजा के स्थान पर रख देती है और परी भी घंटी को यथा स्थान पर रख देती है । तीनों हाथ जोड़कर खड़े होते हैं ,राजन और सीमा शांति पाठ का वाचन करते हैं ।)

समवेत स्वर में-

ओम सर्वेषाम स्वस्तिर भवतु ,सर्वेषाम शांतिर भवतु ,सर्वषाम मंगलम भवतु ,सर्वेषाम पूर्णम भवतु; लोका समस्ता सुखिनो भवंतु ,सर्वे भवंतु सुखिनः ,सर्वे संतु निरामया ,सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां

कश्चित् दुख भाग भवेत् । ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।


राजन - (आरती लेते हुए) इस प्रकार के हवन करने से घर कितना पवित्र और सुगंधित हो जाता है न ।

सीमा - वह तो है (परी को आरती देकर स्वयं भी आरती लेते हुए) पूरे घर का वातावरण और वायुमंडल शुद्ध हो जाता है। हम सब 'वसुधैव कुटुंबकम' को मानने वाले पूरे विश्व की मंगल कामना के लिए 'शांति पाठ' का वाचन आदि करते ही हैं ,अब तो कोरोनावायरस से त्रस्त पूरे विश्व में भी इस प्रकार की प्रार्थनाएं की जा रही है।

राजन - हां , कोरोना से त्रस्त अमेरिका की संसद में भी हमारे शांति पाठ का वाचन किया गया है ।
सीमा - हमारी पूजा पद्धति ,संस्कृति, मान्यताएं, परंपराएं सब बड़ी वैज्ञानिक हैं और विज्ञान को तो पूरा विश्व स्वीकार करता ही है ।
राजन - आधुनिक विज्ञान भी अब तो हमारी इन सब चीजों पर मोहर लगा रहा है । गाय के गोबर की कंडी का नवरात्र में अग्यारी के रूप में प्रयोग करना, कपूर ,लोंग ,पान और हवन सामग्री की आहुति देना तथा आम की लकड़ी से हवन करना सब में विज्ञान की ही अवधारणा है ।

परी - गाय के गोबर की कंङी, छी.....
राजन - हां परी, गाय के गोबर में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं। गाय की तो हर चीज दूध ,दही, घी, गोमूत्र सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, तभी तो गाय को माता का स्थान दिया गया है ।
सीमा - आपके पापा ठीक कह रहे हैं और हवन में प्रयोग की जाने वाली प्रत्येक वस्तु पर्यावरण को प्रदूषित होने से ही नहीं बचाती बल्कि वातावरण को भी शुद्ध करती है, इसके धुऍ से छोटे-छोटे कीटाणुओं का स्वत: ही नाश हो जाता है । शंखनाद की महत्ता तो हम सभी जानते हैं, इसे बजाने से तो फेफड़े भी मजबूत होते हैं ।

परी - और पापा, शंख ,थाली ,ताली आदि बजाना डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मी आदि सबको धन्यवाद देने के लिए भी तो होता है ।
सीमा - (हंसते हुए) बिल्कुल सही ।
राजन - ( पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए) मां , पापा तो सीरियल में व्यस्त हैं अपने कमरे में ।
परी - जी ,रामायण जो आ रही है ।
सीमा - अच्छा है ,घर की चारदीवारी में रहने के समय का सर्वोत्तम सदुपयोग कर रहे हैं ।
राजन - घर में रहना, सभी के लिए बेहद जरूरी भी है। 60 साल से ऊपर वालों के लिए तो कोरोनावायरस का संक्रमण जल्दी ही हो जाता है। देखो न, दीदी की सास को ;अच्छी भली थी लेकिन सत्संग और लोगों से मिलना -जुलना उनको ले डूबा।

सीमा - भक्ति ,श्रद्धा सब अपनी जगह हैं लेकिन जब सब कह रहे हैं ; एडवाइजरी में विशेष रूप से सामाजिक दूरी बनाने की बात कही गई है, बार बार समझाया जा रहा है ,उसके बाद भी मंदिर जाना, आस-पड़ोस में मिलना - जुलना कोई समझदारी तो है नहीं; मंदिर जाना तो उन्होंने तब छोड़ा जब मंदिर के कपाट बंद करने के आदेश आ गए थे ।

राजन - हो तो गया संक्रमण, अब पूरा परिवार परेशान है ,स्पष्ट कहा गया है कि छुआछूत की बीमारी है कोरोना, ऐसे मरीज को क्वॉरेंटाइन कर दिया जाता है ,घर में भी पूरी तरह से अलग ही रखा जाता है, सिर्फ घर का एक ही सदस्य उनके पास तक जा सकता है उनकी तीमारदारी के लिए। जिससे संक्रमण का खतरा कम से कम हो।

सीमा - ऐसे ही शर्मा अंकल का हुआ, उनको तो इतना भयंकर संक्रमण हुआ कि मृत्यु ही हो गई ।
राजन - (पूछते हुए) उन्हें कैसे हो गया ? वह तो ज्यादातर घर पर ही रहते थे ।
सीमा - रहते तो घर पर ही थे ,लेकिन सुबह की सैर की नियमितता ने उनको इस बीमारी की चपेट में ले लिया ; आखिरकार जान से ही चले गए।
राजन - असल में ज्यादातर लोग इसे बड़े हल्के में ले रहे हैं । आज सुबह ही अस्पताल में चार युवकों को भर्ती किया गया है, चारों में कोरोनावायरस पाया गया ।
सीमा - (दुख मिश्रित आश्चर्य से) अरे! यह वायरस आया कैसे उनमें ?
राजन - प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं , कंपनी ने घर से काम करने के आदेश दे दिए, शनिवार- रविवार में वे लोग पिकनिक मनाने चले गए , वहीं से संक्रमित हो गए ।
सीमा - बिल्कुल नहीं सोचते यह युवा, क्या गुजर रही होगी उनके परिवार वालों पर !
राजन - घरवालों को सूचना दे दी गई है लेकिन ऐसी बीमारी में मिलने - मिलाने देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है ।
सीमा - सुनिए ,(राजन के पास पड़ी कुर्सी को थोड़ा दूर करके बैठते हुए) आपने आज सुबह अस्पताल से लौटकर आने के बाद अपने पहने हुए कपड़े कहां रख दिए ?
राजन - बाहर वाले बाथरूम में , नहाने से पहले ही डिटाँल डाल कर धो दिए ।
सीमा - क्यों धो दिए ,मैं धोती न!
राजन - ऐसे काम तत्परता के साथ सावधानीपूर्वक स्वयं ही कर देने चाहिए। प्रत्येक वस्तु बाहर से बाहर सैनिटाइज करके और कपड़े तुरंत स्वयं धोना ही बेहतर है ,वैसे भी कितना करोगी तुम? सब काम वालों की तो छुट्टी कर दी गई है, पूरा काम तुम पर ही पड़ गया है ।

सीमा - (हंसते हुए)अरे वाह! आज तो बड़ा ख्याल आ रहा है ।
परी - ( राजन से) पापा,आप बाहर वाले बाथरूम में क्यों नहाते हैं अब?
राजन - बेटा, यह कोरोनावायरस बहुत खतरनाक वायरस है जो 3 मीटर की दूरी से भी अपना दुष्प्रभाव डाल देता है इसलिए घर में आने से पहले मैं बाहर ही अपना सारा सामान सैनिटाइज करके, अस्पताल के कपड़े वही धोकर, नहा कर, तब अंदर आता हूं जिससे पूरा बचाव किया जा सके , अपना भी और आप सबका भी।

परी - अब आप दादी-बाबा से भी बात नहीं करते हैं और न ही उनके कमरे में जाते हैं, न ही उनके चरण स्पर्श करते हैं; नाराज है क्या उनसे?
राजन - (हंसते हुए )नहीं बेटा, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ,उनसे नमस्ते तो करता हूं न । अभिवादन का यह सबसे अच्छा सुरक्षित तरीका है। आपके दादी- बाबा 60 साल से ज्यादा की उम्र के हैं और मैं एक डॉक्टर हूं, अस्पताल से आता हूं मरीजों के बीच से; तब जरूरी हो जाता है कि मै पूरी सावधानी रखूं। यह छुआछूत की बीमारी है ,चरण स्पर्श से, स्पर्श तो होता ही है । यह बीमारी बड़े- बूढ़े लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से जल्दी ही उन्हें अपनी चपेट में ले लेती है।(सीमा की तरफ इशारा करते हुए) उधर देखो, आपकी मम्मी ने अपनी कुर्सी मुझसे कितनी दूर डाली है । (कहकर हंसने लगता है)

परी - क्यों, मेरी मम्मी तो बूढ़ी नहीं है ।
राजन - बिल्कुल नहीं है, लेकिन सावधानी तो हर एक को बरतनी ही चाहिए न ।
परी - तो क्या यह कोरोनावायरस आपको भी हो सकता है, मुझे भी हो सकता है ।
सीमा - बिल्कुल हो सकता है, अगर हम लोग सावधानी न बरतें तो !
परी - और अगर ध्यान रखें तो!
राजन - फिर आप को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, अगर आप अपना पूरा ध्यान रखें और जो- जो सावधानियां बरतने को कहा जाए वह सब करें तो कोरोनावायरस किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है ।

परी - पापा, मैं तो वह सब करती हूं जो मम्मी कहती है फिर मुझे तो कुछ नहीं होगा न ।
राजन - बिल्कुल कुछ नहीं होगा आपको, आपको बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है।वैसे मम्मी आप से क्या-क्या करने के लिए कहती हैं।
परी - हर 2 घंटे बाद 20 सेकंड तक अच्छे से साबुन से हाथ धोने के लिए कहती हैं, खाँसते और छींकते वक्त मुंह पर रुमाल रखने के लिए कहती हैं और हर 2 घंटे बाद गर्म पानी पीने के लिए देती हैं ।

राजन - अच्छा, इसीलिए कुछ दिनों से हमेशा एक रुमाल आपके हाथ में रहता है ।
सीमा - और सुनिए, कल आप की लाडली बिटिया मुझसे कह रही थी कि पापा अब मुझे प्यार नहीं करते हैं।
राजन - क्यों? ऐसा क्यों?
सीमा - मुझे क्या पता! परी से ही पूछ लीजिएगा।
राजन - क्यों परी, आपको ऐसा क्यों लगा ?
परी - आप पहले जब अपने अस्पताल जाते थे तब हमेशा मुझे प्यार करके, गले लगा कर, खूब सारी पुच्ची दे कर जाते थे और अब पास आने पर भी मुझे डांट देते हैं ।
(सीमा और राजन दोनों हंसने लगते हैं)
राजन - सॉरी बेटा, यह मैं इसलिए करता हूं क्योंकि मैं अपनी प्यारी परी से बहुत- बहुत- बहुत ज्यादा प्यार करता हूं । यह कोरोना मनुष्य को मनुष्य के छूने से ही नहीं बल्कि दूर से बात करने पर भी अपना संक्रमण फैला देता है इसीलिए जब तक यह बीमारी हमारे समाज, हमारे देश से पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती है तब तक आप से दूरी बना कर रखना मेरी मजबूरी है ।आपको क्या लगता है मेरा मन नहीं करता है अपनी प्यारी गुड़िया को प्यार करने का ।

परी - लेकिन आपने वीडियो गेम लाकर भी तो नहीं दिया जिसको देने का आपने मुझसे वायदा भी किया था।
राजन - आपको पता है पूरा बाजार बंद रहता है, पूरे देश में लॉकडाउन है।
परी - (जिज्ञासा से) यह लॉकडाउन क्या होता है पापा?
राजन - लॉक डाउन का मतलब होता है कि सबको अपने-अपने घरों में रहना है, कोई बहुत जरूरी काम के लिए ही बाहर निकल सकता है जैसे खाने-पीने का जरूरी सामान,राशन , दवाई बगैरह । मॉल. थिएटर .होटल. रेस्टोरेंट, बाजार सब बंद रहेंगे केवल बैंक, गैस एजेंसी,मेडिकल स्टोर और किराने की दुकानें ही खुलेंगी । सब कार्यालय बंद रहेंगे ।

परी - फिर आप क्यों जाते हैं?
राजन - हमारे लिए तो जाना जरूरी है क्योंकि जिस बीमारी की वजह से यह सब बंद किया गया है उन मरीजों को कौन देखेगा! इसलिए चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ,पुलिस, मीडिया वाले, सफाई कर्मी, बैंक कर्मी- केवल इन लोगों के लिए ही छूट है, वरना सब को अपना काम घर से ही करना है ।

परी - ( समझते हुए )अच्छा, इसीलिए मेरे स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं।
राजन - जी, अब समझ आया आपको; लेकिन घर में पढ़ना है, घर पर पढ़ना मना नहीं है।(सीमा से) वह दिव्या की शादी भी स्थगित कर दी गई है, आज चाचा जी का फोन आया था।
सीमा - यह तो करना ही चाहिए था, जरूरी था।

राजन - सारी बुकिंग कर दी थी, सब तैयारियां हो गई थी ; इसीलिए चाचा जी पहले निर्णय नहीं ले पा रहे थे लेकिन कोरोना के कारण बिगड़े हालात को देखते हुए उन्हें ऐसा निर्णय लेना ही पड़ा ।

सीमा - यह स्थिति तो दिन पर दिन बिगड़ती ही जा रही है, शादी स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं था ।
राजन - सही बात है, जान तो सभी को प्यारी होती है। अभी हमारे यहां कुछ डॉक्टर्स को भी संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करने के दौरान संक्रमण हो गया,उन्हें पूरी तरह से क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है।

सीमा - इस महामारी ने डॉक्टर की भूमिका को और भी बढ़ा दिया है और हमारे डॉक्टर्स भी दिन- रात एक कर के पूरी जिम्मेदारी और जज्बे के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं ।
राजन - (परी से )परी, आप घर से बाहर तो नहीं जाती हैं खेलने के लिए !
परी - नहीं पापा, मम्मी जाने ही नहीं देती हैं, पूरा दिन घर में ही बंद रखती हैं ; आप कहिए न,मम्मी से थोड़ी देर के लिए जाने दिया करें, प्लीज पापा! राजन - नहीं बेटा,( सीमा की तरफ देखते हुए) हाईकमान के आगे तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता; (कह कर हंसने लगता है) वैसे आपको घर से बाहर जाना भी नहीं चाहिए जब तक कोरोनावायरस का खतरा बिल्कुल समाप्त न हो जाए ।

सीमा - बाहर नहीं जाती है तो क्या,सारा दिन घर के अंदर गेम्स खेलने पड़ते हैं मुझे इनके साथ।
राजन - मां हो, इतना तो करना ही पड़ेगा; ( कुछ याद करते हुए) और हां, तुमने वह घर के सामान की सूची बना दी क्या?
सीमा - हां, अभी देती हूं। सारा सामान लिख दिया है।
राजन - देख लेना, कुछ रह न जाए। केवल एक बार ही बाजार जाऊंगा,बार-बार बाजार जाने से, एक दूसरे के संपर्क में आने से, कोरोना का खतरा बढ़ जाता है ।
सीमा - सब बहुत ध्यान से लिख दिया है जिससे कोई सामान रह न जाए (पास की एक अलमारी से पर्चा निकालकर राजन को देते हुए) फिर भी कुछ रह जाए तो रह जाए, उसके बिना भी काम चला लेंगे।

राजन - (पर्चा लेकर पढ़ते हुए) कुछ पैसे भी दे दो, इस बार का वेतन मैंने स्वेच्छा से पीएम केयर फंड में डाल दिया है।
सीमा - मेरे पास तो अब नहीं है पैसे !
राजन - क्यों ?अभी 4 दिन पहले ही तो मैंने 10,000 दिए थे।
सीमा - हां ,आप ने दिए थे लेकिन वह तो मैंने झाड़ू- पोछा वाली और बर्तन वाली को दे दिए।
राजन - कितने दे दिए ! उनको तो महीना पूरा होने पर ही दिए जाते हैं न।
सीमा - लेकिन अभी उन दोनों की ही छुट्टी कर रखी है, तो दोनों के लिए महीना पूरा होने से पहले ही पैसे दे दिए जिससे वे अपने घर का राशन आदि खरीद कर आराम से घर पर बैठे ।
राजन - तब भी आठ हजार के करीब बचने चाहिए थे।
सीमा - इस बार दोनों कामवाली बाईयों को दो- दो हजार ज्यादा दे दिए जिससे उनके घर- परिवार में किसी तरह की कोई परेशानी न हो ।
राजन - बहुत खूब! ऐसे तो तुम लुटा दोगी।
सीमा - ( हंसते हुए) कोई बात नहीं, किसी के घर का चूल्हा जलता रहे, इसके लिए हमें लुटना भी पड़े तो वह भी मंजूर है; वैसे कल शाम ड्राइवर से आप क्या बात कर रहे थे ?
राजन - अरे, वह तो उसका गाड़ी-वाड़ी चलाना सब बंद है न, दिन- रात घर पर ही रहता है तो......
सीमा - तो .....
राजन - तो क्या, चूल्हा तो उसके घर भी है न,उसे भी तो जलना चाहिए। ( कहकर दोनों हंसने लगते हैं)
सीमा - इन छोटी-छोटी सहायता से हम लोगों पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है लेकिन इन काम वालों को, मजदूरों - दिहाड़ी वालों को, बहुत राहत मिल जाती है ।
राजन - ठीक कह रही हो तुम, और यह हम सबका नैतिक - सामाजिक कर्तव्य भी बनता है।
परी - पापा, चूल्हा तो हमारे घर का भी जलना चाहिए न,( सीमा से )मम्मा, मुझे बहुत जोर से भूख लगी है ।
राजन - बिल्कुल ,पूरे देश में लॉकडाउन है ,हमारी रसोई में थोड़ी न है ।
सीमा - हां, हां, चलो तुम्हें दूध और नाश्ता देती हूं( उठकर जाने लगती है,राजन से) आप क्या खाएंगे नाश्ते में ?
राजन - मुझे अभी कुछ नहीं खाना है, अपने और मेरे लिए केवल चाय ही ले आओ ।
सीमा - ठीक है ( कहकर रसोई में चली जाती है)
परी - (राजन से) पापा, मेरा जन्मदिन आने वाला है, आपको याद है न!
राजन - बिल्कुल याद है, अपनी बिटिया का जन्मदिन कैसे भूल सकता हूं!
परी - आपने उस दिन गर्जिया देवी चलने का वायदा किया है।
राजन - हां, लेकिन अब कैसे जा पाएंगे !
परी - कोई बात नहीं, मेरे जन्मदिन पर खर्च होने वाले सब पैसे आप उन अंकल को दे देना, जो अपने घर से दूर मजदूरी करने के लिए आए थे और पैदल ही वापस भूखे अपने घर जा रहे थे। ( तभी सीमा का प्रवेश होता है ,चाय दूध और नाश्ता लेकर)

राजन - (अनभिज्ञता पूर्वक सीमा से) यह परी क्या कह रही है?
सीमा - कल टीवी पर न्यूज़ में दिखाया जा रहा था कि एक मजदूर भूखे- प्यासे अपने बीवी - बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर जा रहा था, तो कल से मुझसे कई बार पूछ चुकी हैं,वह अंकल अब कहां होंगे,कैसे होंगे, खाना खाया होगा या नहीं, उनके बच्चे तो ठीक हैं न... । (परी को दूध और नाश्ता तथा राजन को चाय देकर, एक कुर्सी पर बैठकर स्वयं भी चाय पीने लगती है)


राजन - (चाय पीते हुए )बच्चे बड़े संवेदनशील होते हैं ,वैसे भी परी बहुत समझदार है।(सीमा से पूछते हुए )मां -पापा ने नाश्ता कर लिया क्या ?
सीमा - हां,उन्हें तो सुबह ही करा दिया था। आप भी कुछ खा कर अब आराम कर लीजिएगा , रात की ड्यूटी करके आ रहे हैं।
राजन - मुझे तो अभी 2 घंटे में ही अस्पताल जाना होगा, एक तो स्टाफ कम है और दूसरे फ्रंटलाइन डॉक्टर्स की अब होटल में ही रहने की व्यवस्था की जाएगी।
सीमा - ( आश्चर्य से ) क्या डॉक्टर्स अब घर पर नहीं आ सकेंगे ?
राजन - नहीं, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण और डॉक्टर के परिवारी जनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है ।
सीमा - यह तो बड़ी परेशानी वाली बात हो गई!

राजन - कोई बात नहीं, सुविधा से अधिक बड़ी सुरक्षा होती है। यह पूरे विश्व में संकट की घड़ी है जिसमें डॉक्टर्स की भूमिका बहुत अहम है बल्कि यह एक चिकित्सक के लिए भी परीक्षा की ही घड़ी है, अपने आप को सिद्ध करने का समय है।

परी - मेरे पापा तो सचमुच के हीरो हैं, मुझे अपने पापा पर गर्व है।
सीमा - ( हंसकर गर्व के साथ ) मुझे भी आपके पापा पर गर्व है।
राजन - धन्यवाद, जीवन में पहली बार अपने पति पर गर्व हो रहा है आपको।
सीमा - ( उठते हुए )तो फिर जल्दी से आपको कुछ खाने के लिए बना देती हूं।
राजन - बैठो बना देना, अब तो तुम से बात करने का, साथ बैठने का, समय ही नहीं मिलेगा।
सीमा - परी, आप नाश्ते से पहले अपने हाथ अच्छी तरह से साबुन से धोकर आईऎ।(परी हाथ धोने चली जाती है, राजन से )आपने मन की बात सुनी क्या?
राजन - नहीं, जल्दी सुनाओ अपने मन की बात, हम तो आपके मन की बात सुनने के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं।
सीमा - आपको ऐसे समय में भी मजाक सूझ रहा है, मैं आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले मोदी जी के कार्यक्रम 'मन की बात' के बारे में बात कर रही हूं ।
राजन - ओह अच्छा, कोई खास बात है क्या उसमें?
सीमा - नहीं, ऐसी तो कोई खास बात नहीं है, पहले जब भी 'मन की बात' में बोलते थे तो कुछ मुद्दों पर बोलते थे लेकिन कल तो पूरा समय कोरोना से संबंधित ही बात कही।
राजन - यह कोरोना का मुद्दा है ही इतने महत्व का, हम लोगों को तो अस्पताल में बिल्कुल भी, कुछ भी देखने-सुनने का समय ही नहीं मिलता है। एक के बाद एक मरीजों का तांता लगा ही रहता है।

( परी का हाथ धोकर प्रवेश)

सीमा - परी, आपने अच्छी तरह से हाथ धोऎ हैं न!
परी - जी मम्मी, पूरे 20 सेकंड।
राजन - अच्छा, आप धोती कैसे हैं?
परी - पहले पानी से धोकर साबुन लगाती हूं फिर अच्छे से दोनों हाथों को आपस में रगड़कर, दोनों हाथों के उल्टी तरफ रग़ड़कर, दोनों कलाई पर रगड़ती हूं और उसके बाद उंगलियों के बीच में रग़ड़ कर, धो लेती हूं ।

राजन - इस बीच पानी लगातार चलने देती हैं क्या?
परी - नहीं पापा, टंकी तो केवल हाथ धोते समय ही चलाती हूं । रगड़ते वक्त तो बंद कर देती हूं। राजन - शाबाश, मम्मी ने काफी अच्छी तरह से सिखा दिया है सब कुछ, पानी की बर्बादी तो बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए।(सीमा से पूछते हुए) घर में सैनिटाइजर खत्म हो गया है क्या?

सीमा - नहीं खत्म नहीं हुआ है, मां के पास रख दिया है। घुटनों में दर्द की वजह से उनको बार-बार चलने में दिक्कत होती थी।
राजन - यह तो तुमने बहुत अच्छा किया, वैसे भी साबुन - पानी से हाथ धोना एक बेहतर विकल्प है।
परी - पापा, घर में भी क्या मास्क लगाना चाहिए?
राजन - अगर घर में सब स्वस्थ हैं तो मास्क लगाने की जरूरत नहीं है लेकिन किसी को खांसी- जुकाम या बुखार हो तो सावधानी के तौर पर लगा लेना चाहिए । इसका सबसे अच्छा उपाय है एक दूसरे से थोड़ी दूरी बनाए रखना क्योंकि यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है इसलिए बात करते समय कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना चाहिए। खांसते या छीक़ते समय मुंह पर रुमाल रखना चाहिए, वह तो आप करती ही हैं।घर से बाहर तो बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए।

परी - वह तो मम्मी मुझे जाने ही नहीं देती हैं (अपनी नाश्ते की प्लेट में आयुर्वेदिक गिलोय की 2 गोलियां देखकर,सीमा से) यह गोलियां कब तक खिलाएंगी आप?
सीमा - अभी कुछ समय तक तो हल्दी वाला दूध और गिलोय की यह गोलियां लेती रहो । इलाज से सावधानी हमेशा ही बेहतर होती है, जिस रोग की दवा न बनी हो, उसकी दवा केवल सावधानी ही होती है ।

राजन - यह तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी बहुत कारगर है । तुम मां-पापा को भी तो रोज सुबह गिलोय, नीम और तुलसी के पत्तों का काढ़ा दे रही हो न !
सीमा - हां, मां- पापा तो पी लेते हैं लेकिन यह परी नहीं पी पाती है इसलिए इसे गिलोय की गोलियां दे देती हूं।
राजन - यह काम तो बहुत अच्छा करती हो तुम, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राणायाम, योगा और गिलोय की महत्ता को स्वीकार किया है ।
सीमा - इस बार आकाशवाणी से प्रसारित 'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी सभी से स्वस्थ बने रहने के लिए, अपने घर पर ही प्राणायाम- योगा करने की अपील की है, इस से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया। इसी तरह से कोरोना से बचने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव ने भी भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभाति करने पर विशेष बल दिया है, साथ ही अदरक, काली मिर्च, तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह भी दी है।

राजन - सूर्य नमस्कार तो शरीर के सभी तंत्रों के लिए सबसे अच्छा आसन है।
सीमा - आकाशवाणी से प्रसारित 'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी जी ने जनता को हुई परेशानी के लिए, जनता से क्षमा याचना की और कुछ डॉक्टर से फोन पर बात भी की जो कोरोना से लड़ने की जंग में पूरे तन- मन से समर्पित हैं । जनता में, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए, हमारे यहां कही जाने वाली बातों का उदाहरण देकर भी समझाने का प्रयत्न किया जैसे 'एवं एव विकारो अपि तरुण: साध्यते सुखम' अर्थात बीमारी और उसके इलाज से शुरू में ही निपटना चाहिए बाद में रोग असाध्य हो जाता है, इसी प्रकार एक अन्य उदाहरण द्वारा अपनी बात कही कि हमारे यहां कहा जाता है कि 'आरोग्यं परम भाग्यम, स्वास्थम सर्वार्थ साधनम्' अर्थात स्वस्थ रहना सबसे बड़ा भाग्य है और स्वास्थय से ही सब प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है, दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है। 40 मिनट की 'मन की बात' का सार कहा जाए तो यह था कि कोरोना से निपटने के लिए एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग ही है, उसके साथ-साथ प्राणायाम- योगा भी करें और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खान-पान और जीवन-शैली पर ध्यान दें।

राजन - बिल्कुल सही बात है, इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है क्योंकि न तो इस वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन ही बनी है और न ही कोई दवाई ही है तो बस बचा क्या सिर्फ सावधानी और सावधानी केवल सोशल डिस्टेंसिंग ही है , बाकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है- जीवनशैली और खान-पान से । जिम नहीं जा सकते इसलिए घर पर ही योगा – प्राणायाम करना चाहिए ।

सीमा - मोदी जी ने 'मन की बात' में एक और महत्वपूर्ण बात का जिक्र किया कि अगर किसी को कोरोना हो जाता है तो समाज में कुछ लोग उस व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं ,जो कि बहुत गलत है उन्होंने कहा सामाजिक दूरी बढ़ाइए लेकिन भावात्मक दूरी घटाइए । संक्रमित व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार करना तो धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्रीय तीनों ही प्रकार का अपराध है ।

राजन - कई स्थानों पर तो डॉक्टर और नर्सों के साथ भी बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है, यहां तक कि इन पर पत्थर भी फेंके गए हैं मारने के लिए ।
सीमा - हां न्यूज़ में आ तो रहा था, यह तो बहुत ही शर्मनाक बात है जो आप के इलाज के लिए आ रहा है ,आपके जीवन की रक्षा के लिए आ रहा है; उसी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार।
राजन - एक तो डॉक्टर और नर्सअपनी जान जोखिम में डालकर इन लोगों का इलाज करने जा रहे हैं, ऊपर से यह लोग उन्हीं के साथ बदसलूकी कर रहे हैं ; उन्हीं पर जानलेवा हमला कर रहे हैं।

सीमा - अजीब मानसिकता है।
परी - (बाहर देखते हुए) मम्मी, मेन गेट खुला हुआ है, मैं बंद कर आऊं !
सीमा - नहीं बेटा, आप रहने दो, मैं ही कर दूंगी ।
परी - आप मुझे क्यों नहीं करने देती हैं ? पहले भी तो मैं बंद किया ही करती थी ।
सीमा - ऐसे ही, कोई खास बात नहीं है; धातु पर यह वायरस 9 दिन तक रहता है, आप छोटी बच्ची हो, आपके हाथ धोने में लापरवाही हो सकती है। मैं दस्ताने पहनकर बंद कर दूंगी और फिर हाथ भी अच्छे से धो लूंगी ।

राजन - ( सीमा से) वह रफीक को तो तुम अच्छी तरह से जानती हो न!

सीमा - बहुत अच्छी तरह से, वही डॉक्टर रफीक, जो बड़ी दिलेरी के साथ कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं। कई बार तो वह अपने घर पर भी आ चुके हैं।
राजन - हां हां, वही ; अभी उन्हें भी कोरोनावायरस क़ा इलाज करते- करते यह संक्रमण हो गया था ।

सीमा -( आश्चर्य से) अरे फिर..
राजन - फिर क्या! उन्हे पता ही नहीं लगा , जैसा कि इसके लक्षण 14 दिन के बाद तक भी दिखाई देते हैं और कई बार तो लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं ,इस बीच घर में भी आते -जाते रहे, फलस्वरूप उनके पूरे परिवार को भी हो गया ।

सीमा - यह तो बहुत बुरा हुआ!
राजन - लेकिन अब वह बिल्कुल सही है, पूरा ध्यान रखा उन्होंने अपना, खुद को घर में ही क्वॉरेंटाइन कर लिया था।परिवार के सदस्यों को भी अलग- अलग रहने की सख्त हिदायत दे दी थी और खानपान पर भी विशेष ध्यान देने के साथ-साथ प्राणायाम, योगा और काढ़ा आदि भी सबको पिलाते रहे जिससे आशातीत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी सबकी । अब केवल उनकी मां को छोड़कर लगभग सभी परिवार के सदस्य ठीक हो चुके हैं। उम्मीद है, वह भी जल्दी ही ठीक हो जाएंगी ।

सीमा - यह वायरस बालों में, कपड़ों में सब जगह तो पहुंच जाता है; दूरी बनाए रखने के साथ-साथ बाहर से आई हर चीज को सैनिटाइज करना भी बहुत जरूरी है ।

राजन - बिल्कुल जरूरी है, अरे कोरोनावायरस तो पार्थिव शरीर तक में बना रहता है इसीलिए अब ज्यादातर देश शवों को दफनाने के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक क्रिमेटोरियम के द्वारा जलाए जाने की बात का समर्थन कर रहे हैं। हमारे देश में भी , जिन समुदायों में उन्हें दफनाने की प्रथा है, उनके कुछ संगठन भी इलेक्ट्रॉनिक क्रिमेटोरियम के समर्थक हो गए है ।( कुछ रुक कर) अच्छा पापा जो सुबह-शाम टहलने जाना चाहते थे अब तो....

सीमा - ( बीच में ही) अब पापा भी इस वायरस की भयावहता अच्छी प्रकार से समझ गए हैं, सारा दिन टीवी पर समाचार सुन रहे हैं ; सुबह-शाम छत पर भी टहलने चले जाते हैं ।
परी - सुबह के समय तो हम सब ही जाते हैं ।
राजन - आप क्या करती हैं ऊपर जाकर?
परी - मैं और दादी जी तो प्राणायाम और योगा करते हैं ।
राजन - ( हंसते हुए सीमा से) परी क्या कह रही है? सीमा - सही कह रही है, हम सब सुबह जल्दी उठकर छत पर चले जाते हैं; पापा तो कुछ प्राणायाम करने के बाद, टहलकर चले आते हैं। मां, परी और मैं प्राणायाम के साथ कुछ आसान से योगा के आसन भी कर लेते हैं ।

परी - पापा, दादी को इन आसनों से काफी फायदा भी हुआ है ।
राजन - हां, वही मैं देख रहा था, मां आज बिना किसी सहारे के चल पा रही थी।
सीमा - एक अच्छी बात बताऊं आपको!
राजन - जब सब तरफ मौत का भय हो, अस्पताल में पीड़ितों की कराह सुनाई देती हो , मायूस चेहरे दिखाई देते हो, अपनों के खो जाने का डर चेहरों पर साफ झलकता हो; ऐसे में क्या अच्छी बात हो सकती है?

सीमा - आप ठीक कह रहे हैं, आप पूरा समय ऐसे लोगों के बीच में रहते भी हैं फिर भी मैं पर्यावरण की बात कर रही थी। जब से लॉकडाउन हुआ है तब से प्रदूषण बहुत कम हो गया है, ओजोन लेयर क्षति 95 प्रतिशत कम हो गई है ।कल जब हम लोग सुबह के समय ऊपर गए थे ,आसमान एकदम साफ था और शुद्ध वायु चल रही थी तब मां की नजर नैनीताल की पर्वत श्रेणियों पर गई ।

राजन - (आश्चर्य से) क्या कल अपनी छत से नैनीताल के पर्वत दिख रहे थे?
सीमा - बड़े साफ दिखाई दे रहे थे, इससे पहले मैं कितनी ही बार छत पर गई हूं लेकिन मुझे कभी दिखाई नहीं दिए ।
राजन - ( हर्ष के साथ) मैं जब छोटा था, सुबह जल्दी उठना नहीं चाहता था; तब मां इन्हीं पर्वतों को दिखाने का लालच देकर ,मुझे ऊपर छत पर ले जाती थी और मेरी नींद आलस्य सब भाग जाता था । (बचपन की यादों में खोते हुए) बचपन से ही पर्वत श्रेणियों को देखना मुझे बहुत अच्छा लगता था। वर्षा के बाद ,आसमान साफ होने पर यह बहुत ही स्पष्ट दिखाई देती थी। ऐसे में छत पर जाकर घंटों चुपचाप मैं इन्हें देखता रहता था।

सीमा - ( चुटकी बजाते हुए) डॉक्टर साहब, अतीत की यादों से बाहर आ जाइए, अब आप पहले वाले वह किशोर नहीं रहे । (तीनों हंसने लगते हैं)
राजन - पूरी दुनिया के लिए प्रकृति का यह एक संदेश है।
सीमा - कानपुर, वाराणसी, हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर सभी नदियों का पानी खुद-ब-खुद साफ हो रहा है । मेरिन ड्राइव मुंबई में तो डॉल्फिन तक दिखाई देने लगी है जबकि डॉल्फिन सदैव साफ पानी में ही आती है ।

राजन - अगर इतने कम दिनों में वातावरण और पर्यावरण इतना अधिक शुद्ध हो सकता है तो लॉक डाउन के बाद भी कुछ बातों का ध्यान रखकर हम पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं।
सीमा - बिल्कुल रख सकते हैं,वरना इस तरह की आपदाओं से हमेशा ही सामना करते रहना पड़ेगा । पर्यावरण को शुद्ध रखने का प्रयास हर व्यक्ति को अपने स्तर से करना ही होगा। (राजन से पूछते हुए) आपको क्या लगता है कि लॉकडाउन की अवधि अभी और बढ़ेगी या नहीं?

राजन - जिस तरह से रोजाना आंकड़े बढ़ रहे हैं, उसे देखकर तो मुझे लगता है कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ेगी । निसंदेह लोगों को इससे परेशानी होगी लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए अति आवश्यक है लॉकडाउन को बढ़ाना जैसा कि मोदी जी ने कहा भी है कि जान है तो जहान है ।

परी - पापा, आपको याद है न, कल 5 अप्रैल को ठीक 9:00 बजे 9 मिनट के लिए अपनी बालकनी में या छत से या फिर अपने दरवाजे पर खड़े होकर, पूरे घर की लाइट बंद करके; प्रत्येक को एक दीपक जलाना है ।(सीमा अंदर चली जाती है)

राजन - बिल्कुल याद है, अपने प्रधानमंत्री जी की अपील को कैसे भूल सकता हूं लेकिन मैं उस समय घर पर नहीं होऊंगा । जहां भी हुआ, वहां यह काम अवश्य करूंगा फिर भी एक दीपक मेरे नाम का आप भी अवश्य जला दीजिएगा ।

परी - पापा मेरी समझ में एक बात नहीं आई कि यह तारीख और यह समय ही क्यों ? अगर डॉक्टर, नर्स ,पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मी आदि को धन्यवाद देने के लिए या उनके सम्मान में ही दीपक जलाना है तो यही समय क्यों? कभी भी जला सकते हैं ।

राजन - बेटा, बिल्कुल ठीक - ठीक तो मुझे नहीं पता फिर भी जहां तक मैं समझ पाया हूं, हमारी काल गणना के आधार पर खगोल शास्त्रियों या फिर ग्रह नक्षत्रों का ज्ञान रखने वालों के अनुसार इस 9 मिनट के समय, प्राकृतिक प्रकाश जैसे दिया- मोमबत्ती जलाने से मन के भय पर काबू पाया जा सकता है, प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सकता है, संक्रमण का नाश होने के साथ ही आंतरिक शक्तियों को बल भी मिलता है ।

(तीन गिलास में गर्म पानी लिए हुए सीमा का प्रवेश)

सीमा - ( परी और राजन को गर्म पानी का गिलास देते हुए) क्या बात हो रही है पापा- बेटी के बीच ?
राजन - बहुत खास, जिन प्रश्नों के उत्तर , परी के पापा को भी ठीक से नहीं पता है ।
परी - 5 तारीख... 9:00 बजे..... 9 मिनट..... सीमा - ( समझते हुए) अच्छा यह बात, हमारी काल गणना बहुत ही वैज्ञानिक है, इसको न समझने वाले लोग इसे अंधविश्वास ही कह देते हैं लेकिन अगर सही जानकार और सही जानकारी हो तो यह हमारा अध्यात्म और शास्त्र एक श्रेष्ठ विज्ञान ही है इसीलिए मोदी जी ने एक विशेष समय पर इस काम को करने की अपील की है ।

राजन - ( सीमा से)यह गर्म पानी मुझे क्यों दिया, मैंने तो नहीं मांगा था ।
सीमा - मुझे पता है आपने नहीं मांगा था लेकिन इन दिनों कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक दो 2 घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा गरम पानी पीते रहना चाहिए ।

परी - और प्रत्येक दो 2 घंटे के अंतर पर हाथ भी धोते रहना चाहिए ।
राजन - अरे वाह! आप दोनों तो बहुत जागरूक हैं अपने स्वास्थ्य के प्रति।
सीमा - इस समय जागरूक होना आवश्यक भी है।

परी - पापा, एक बात पूछूं आपसे!
राजन - हां, पूछो बेटा।
परी - एक साधारण खांसी- जुकाम, बुखार में और कोरोनावायरस के खांसी- जुकाम, बुखार में क्या अंतर होता है? कैसे समझते हैं कि यह कोरोना है या नहीं ?
राजन - कोरोनावायरस के टेस्ट के बिना यह कहना मुश्किल ही नहीं, असंभव ही है। फिर भी खांसी- जुकाम के साथ तेज बुखार और सांस लेने में परेशानी होने लगे, तब कहा जा सकता है कि कोरोनावायरस का संक्रमण हो सकता है और निश्चित रूप से यह जानने के लिए इसका टेस्ट करवाना अति आवश्यक है । जरा सी भी शंका होने पर इसका टेस्ट करवा लेना चाहिए । हमारे देश में सरकार यह टेस्ट निःशुल्क करवा रही है ।

परी - पापा, पहले तो आप कह रहे थे कि हमारे यहां स्थिति नियंत्रण में है फिर अचानक से कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या इतनी अधिक क्यों बढ़ गई?
राजन - कुछ लोगों की नासमझी, लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण ही यह स्थिति बिगड़ गई, वरना विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने भारत के द्वारा समय से उठाए गए कदमों और प्रयासों की प्रशंसा की है । इतने बड़े देश में, हमारे यहां जो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों और संक्रमण से मृत्यु होने वाले लोगों की संख्या थी, काफी हद तक कम थी ।

सीमा - पता नहीं, इस तरह के लोग, संक्रमण को फैलाकर क्या हासिल करना चाहते हैं क्योंकि इस तरह की गतिविधियां सबसे ज्यादा तो उन्हीं के लिए घातक है, फिर पुलिस प्रशासन, चिकित्सकों और नर्सों के साथ अभद्रता करना..., इससे क्या दर्शाना चाहते हैं । यह कृत्य निंदनीय ही नहीं बल्कि सामाजिक ,राष्ट्रीय अपराध भी है ।

राजन - वैश्विक महामारी के, इस संकट के समय में, इस तरह की गतिविधियां; सुचारू रूप से चल रहे, सकारात्मक कामों में विघ्न डालना ही है। 'न जिएंगे, न जीने देंगे' ।
सीमा - 'जियो और जीने दो' के दर्शन को पलट कर ही रख दिया । विश्व स्तर पर कोरोनावायरस की महामारी के संदर्भ में भारत की स्थिति प्रशंसनीय ही थी। इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन जैसे देश, जहां स्वास्थ्य सेवाएं हमसे कई गुना अच्छी हैं, उन देशों की स्थिति भी नियंत्रण से बाहर है । स्वास्थ सेवाओं में इटली पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर आता है और भारत 104 नंबर पर आता है फिर भी कोरोनावायरस के मामले हमारे यहां बहुत कम थे ।

परी - मम्मी, कल आप बता रही थी कि आपके मोबाइल पर मैसेज आए हैं कि इस बीमारी की दवाई और वैक्सीन तैयार हो गई है ।

राजन - ऐसे समय में भी, इस तरह के फर्जी मैसेज डालने और फॉरवर्ड करने से लोग- बाग बाज नहीं आते हैं । (परी से ) परी बेटा, इसकी अभी तक न तो कोई दवाई की ही खोज हो पाई है और न ही कोई वैक्सीन ही तैयार हो पाई है । हां, अनुमान लगाया जा रहा है कि 'हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन' इस बीमारी के इलाज में कारगर सिद्ध हो सकती है लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योंकि इसके प्रयोग अभी चल रहे हैं , लेकिन प्रामाणिक तौर पर सिद्ध नहीं हो पाया है। इसी कारण से हमारे प्रधानमंत्री जी से 30 देशों ने 'हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन' की मांग भी की है जैसा कि भारत इसका निर्यात करता है ।

सीमा - इस महामारी से बचने का सिर्फ और सिर्फ उपाय सावधानी बरतना ही है जैसे- घर पर रहना, जब तक जरूरी न हो तब तक तो घर से बिल्कुल भी बाहर नहीं जाना चाहिऎ ; बार-बार हाथ धोना, बार-बार गर्म पानी पीना, साथ में अपनी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाना।

परी - यह प्रतिरोधक क्षमता क्या होता है ?
सीमा - यह हमारे शरीर की वह आंतरिक शक्ति होती है जो इस वायरस से लड़ती है और व्यक्ति की यह शक्ति और क्षमता जितनी मजबूत होती है व्यक्ति उतना ही स्वस्थ भी होता है और ऐसे वायरस को लड़ाई में हराने में सफल भी होता है।

परी - आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे दो लोग आपस में लड़ रहे हो।
सीमा - बिल्कुल सही समझी आप। ऐसी ही स्थिति होती है ।
परी - लेकिन इस शक्ति को बढ़ा कैसे सकते हैं? यह तो जितनी होती है, उतनी ही रहेगी न ।
सीमा - नहीं परी, इसे हम अपने खान-पान, जीवनशैली और प्राणायाम- योगा से बढ़ा भी सकते हैं और स्वस्थ भी रह सकते हैं। आपने 'मन की बात' में सुना था न, हमारे प्रधानमंत्री जी भी योग और प्राणायाम केवल करते ही नहीं है बल्कि सबको करने की सलाह भी देते हैं ।

परी - यह खान-पान और जीवनशैली क्या होता है?
सीमा - खान-पान से मतलब आप जो भी खाएं पौष्टिक होना चाहिए जैसे दलिया, दाल, हरी सब्जियां, स्प्राउट्स, फल आदि । हां, मांसाहार तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, इस तरह के वायरस, मांसाहार से ही फैलते हैं जैसे यह कोरोनावायरस चमगादड़ से फैला है; इससे पहले भी कोई भी वायरस किसी न किसी जानवर के द्वारा ही फैला था। शाकाहार सर्वोत्तम आहार है तभी तो हमारी संस्कृति ने इसे सदियों से अपनाया है और इसीलिए अन्य देशों की अपेक्षा हमारे यहां के व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है ।

राजन - अपनी सभ्यता-संस्कृति को आज पूरा विश्व अपना रहा है । अब कहीं भी कोई भी हाथ नहीं मिलाता है, सब हाथ जोड़ कर नमस्कार ही कर रहे हैं ।
सीमा - और हम, अब तक बिना सोचे -विचारे पाश्चात्य सभ्यता की तरफ भागते रहे हैं, उनके दूषित खान- पान को भी अपनाने लगे । ( कुछ याद करते हुए) वह आपका लंच बॉक्स कहां है?
राजन -( मजाक के लहजे में) अचानक से क्या हो गया तुम्हें, अच्छी खासी चर्चा चल रही थी ।
सीमा - वह खान-पान से अचानक आपका लंच बॉक्स याद आ गया।(राजन चुप रहता है) बताइए न, कहां है आपका लंच बॉक्स? उसकी जरूरत पड़ेगी , आपको खाना देने के लिए।
राजन - अरे यार,वह तो......
सीमा - क्या हुआ ? वह तो......
राजन - असल में एक मजदूर मिला था जिसकी पत्नी को कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया था । बड़ा दुखी था बेचारा, कह रहा था ' 2 दिन से कुछ भी नहीं खाया है, ऊपर से पत्नी को कोरोना का संक्रमण हो गया है। मजदूरी - दिहाड़ी बंद होने की वजह से आगे भी पैसे की व्यवस्था होने की कोई उम्मीद नहीं है। ' - रो रहा था, मैंने अपना खाना उसको दे दिया ।

परी - यह तो आपने बहुत अच्छा किया , पापा !सीमा - कुछ पैसे भी दे देना चाहिए थे, यही दिया- लिया ही काम आता है जीवन में और मानव धर्म भी यही कहता है।
राजन - हम लोग लाखों-करोड़ों का दान तो कर नहीं सकते लेकिन इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने सामने आए जरूरतमंद की जरूरतों को पूरा कर दे ,इसमें कोई कोताही न बरतें।
सीमा - आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं,अगर हर आदमी इसी तरह सोचे और सिर्फ अपनी हैसियत के अनुसार ही मदद करता रहे तो दुनिया में कभी भी किसी को भूखा सोने की नौबत नहीं आएगी।

परी - पापा, आप मेरे जन्मदिन पर खर्च होने वाले पैसे उन अंकल को दे देंगे न!
राजन - बिल्कुल बेटा, पक्का वायदा! अब उन अंकल को ढूंढ पाना तो संभव नहीं है लेकिन मैं वह पैसा अवश्य ही किसी जरूरतमंद को दे दूंगा या फिर 'पी एम केयर फंड' में डाल दूंगा ।
परी - ( खुश होकर) ठीक है पापा।
राजन - ( सीमा से) सुनो, कल खान साहब का फोन आया था।
सीमा - कौन ख़ान साहब, वह बाजू वाले अपने पड़ोसी?
परी - रहमान के पापा क्या?
राजन - हां हां वही, कुछ दिए के बारे में पूछ रहे थे अपने घर में दिए हैं क्या ?
सीमा - हां, हां, बिल्कुल है; मैं छत से अपनी दीवार पर रख दूंगी फिर आपा को फोन कर दूंगी, वह उठा लेंगी ।
राजन - यह अच्छा उपाय निकाला तुमने ।
परी - पापा, वह तो हिंदू नहीं है फिर वह क्यों जलाएंगे?
राजन - आपने मोदी जी की अपील को ध्यान से सुना नहीं क्या! वह सदा ही 130 करोड़ भारतवासियों की बात करते हैं जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ,पारसी, जैन, बौद्ध सभी धर्म के अनुयायी आते हैं और वे सब भारतीय ही होते हैं। उन्होंने यह अपील सबसे की है ।

सीमा - वैसे भी दिया जलाना किसी समुदाय विशेष से थोड़ी न जुड़ा है, वह तो हर भारतवासी की, अपने देश के प्रति भक्ति और सम्मान की भावना को दर्शाता है ।
परी - पापा 5 तारीख को 9:00 बजे 9 मिनट के लिए दिए जलाने का कारण आप ग्रह नक्षत्रों या कालगणना से संबंधित कुछ बता रहे थे जो केवल हमारे यहां ही मानी जाती है ।
राजन - नहीं बेटा, कालगणना या ग्रह नक्षत्रों को तो पूरा विश्व मानता है बस उसे मानने का अपना- अपना तरीका होता है जैसे ईद का पर्व चंद्रमा के ऊपर निर्भर करता है ।
सीमा - मैंने वहीदा खाला से भी बात की थी । राजन - अच्छा, क्यों?
सीमा - बस यूं ही, इतने दिनों से लॉक डाउन चल रहा है ; सोचा उनकी खैर -खबर ले लूं ,अकेली रहती हैं कहीं किसी चीज की जरूरत हो या फिर परेशानी हो तो पता तो लगना चाहिए ।
राजन - सब खैरियत तो है खाला के घर ।
सीमा - हां सब कुशल मंगल है । बता रही थी कि जन धन योजना में इस बार ₹500 पेंशन के साथ बढ़कर आए हैं ।
राजन - सरकार ने यह पैसे कोरोना की वजह से मदद के लिए दिए हैं ।
सीमा - (कुछ सोचते हुए ) मां पूछ रही थी कि क्या आपको छुट्टी नहीं मिल सकती है ?
राजन - ऐसे में तो मैं खुद भी छुट्टी नहीं लेना चाहूंगा ।
सीमा - कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के द्वारा ,डॉक्टर्स को होने वाले संक्रमण के समाचार को सुनकर मां परेशान हो जाती है ।
राजन - मैं समझता हूं सीमा, मां का दिल है; लेकिन ऐसे समय में जब देश को, समाज को हमारी जरूरत हो तब हम घर पर कैसे बैठ सकते हैं! तुम भी, मां को समझा दिया करो ।
सीमा - ठीक है, (भावुक होते हुए) लेकिन सावधानी आप भी पूरी बरतिएगा । बिना दस्ताने और बिना मास्क के, होटल के अपने कमरे से बिल्कुल भी बाहर मत निकलिएगा ।
राजन - ( समझाते हुए) तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,मैं अपना पूरा- पूरा ध्यान रखूंगा । भगवान ने चाहा तो जल्दी ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा ।

सीमा - भगवान करे ऐसा ही हो ।
राजन - परी, आपने फोन पर बताया था कि आपने कुछ लिखा है कोरोना पर , दिखाओ न!
परी - हां पापा,अभी दिखाती हूं ( अलमारी से डायरी निकालकर राजन को देते हुए ) देखिए.....
राजन - नहीं, आप ही पढ़ कर सुनाइए ।
परी - ( पढ़ते हुए)


कोरोना को मारो गोली, कोरोना का क्या रोना!
घर में रह एहतियात बरतो, फिर क्या कर लेगा कोरोना ।
गर्म पानी से गला रखो तर, बार-बार है हाथ धोना ।
जीवन में योगा अपना लो, फिर क्या कर लेगा कोरोना । ।
कोरोना को मारो गोली, कोरोना का क्या रोना!
अपनी संस्कृति को अपना लो, हाथ जोड़कर नमन करोना!
शाकाहारी बन जाओ, फिर क्या कर लेगा कोरोना !
कोरोना को मारो गोली, कोरोना का क्या रोना ।
चीन से चलकर विश्व में घूमा ,भारत में आ पड़ेगा पछताना ।
प्रतिरक्षा से विजई बनेंगे, फिर क्या कर लेगा कोरोना!
कोरोना को मारो गोली , कोरोना का क्या रोना!
छुआछूत की महामारी है, हल्के में इसे मत लेना ।
सोशल डिस्टऎसिंग से ही निश्चित हारेगा कोरोना ।
घर में रह एहतियात बरतो, फिर क्या कर लेगा कोरोना!
कोरोना को मारो गोली, कोरोना का क्या रोना !।

राजन - वाह ! आपने तो बहुत अच्छा लिखा है, पूरा अपने आप लिखा है क्या?
परी - नहीं, मम्मी की सहायता ली थी ।
राजन - फिर भी बहुत अच्छा लिखा है( उठते हुए) मैं भी अब कोरोना वायरस से जंग की तैयारी कर लूं ।
सीमा - ( न समझते हुए) मतलब!
राजन - मतलब यह कि शस्त्र रूपी उपकरण तो हमें अस्पताल से ही मिलते हैं लेकिन अस्त्र रूपी कपड़े तो घर से ही ले जाने होंगे, होटल में रुकना होगा तो लगभग 1 सप्ताह की तैयारी करके चला जाता हूं ।

सीमा - कपड़ों के साथ-साथ साबुन, टॉवल, टूथब्रश -पेस्ट सब ध्यान से रख लेना।( उठते हुए) अब मैं भी चलती हूं।
राजन - ( सीमा से पूछते हुए) अरे, तुम्हें कहां जाना है?
सीमा - मोहल्ले की महिलाओं का व्हाट्सएप पर जो ग्रुप है उसमें निर्णय लिया गया है कि 10 परिवारों से रोजाना 10- 10 भोजन के पैकेट शहर की मलिन बस्तियों में भिजवाए जाएंगे उसी योजना के तहत आज मेरी भी बारी है, भोजन के 10 पैकेट बनाने की।

राजन - यह विचार तो अति उत्तम है, लेकिन है किसके दिमाग की उपज ?
सीमा - कुछ दिन पहले मैं अपना फेसबुक चेक कर रही थी , एक पोस्ट किसी ने डाली थी जिसमें 7 लोग एक जरूरतमंद को खाना देते हुए दिखाए गए थे। उस पोस्ट को मैंने अपने मोहल्ले के व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर कर दिया साथ में मैंने अपना कमेंट भी लिख दिया—

खुद्दार मेरे शहर में फ़ाके से मर गया, राशन तो मिल रहा था पर वह फोटो से डर गया।

खाना तो दे रहे थे, पर सेल्फी के साथ - साथ, मरना था जिसको भूख से वह गैरत से मर गया ।

राजन - फिर क्या हुआ?
सीमा - फिर सब लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप पर ही चैट की और यह योजना बनाई ।
राजन - लेकिन मलिन बस्तियों तक यह पैकेट पहुंचाएगा कौन?
सीमा - उसकी व्यवस्था भी कर ली गई है । लॉक डाउन में ऐसे तो कोई जा नहीं सकता इसलिए एक समाज सेवी संस्था के 2 लोग आकर यह पैकेट ले जाएंगे और वहां जाकर बांट देंगे।
राजन - यह तो बहुत अच्छी योजना है, यह उन लोगों के लिए एक संदेश है जो कुछ करना नहीं चाहते और बड़ी लाचारगी के साथ कहते हैं कि 'करना तो हम बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन कर भी क्या सकते हैं ' प्रत्येक व्यक्ति अगर करना चाहे तो कुछ न कुछ अवश्य ही कर सकता है । कितनी ही महिलाओं ने घर पर बैठकर मास्क तैयार किए हैं और बांटे हैं।

सीमा - सही बात है,' जहां चाह , वहां राह'।
परी - ( राजन से) पापा, प्रत्येक व्यक्ति कैसे कर सकता है ; हमारे दादी - बाबा क्या कर सकते हैं इसमें?
सीमा - क्यों वह कर तो रहे हैं ! घर पर रहकर पूरा सहयोग कर रहे हैं, इस लॉक डाउन को सफल बनाने में और कोरोनावायरस के संक्रमण पर रोक लगाने में ।
परी - ( सीमा से ) मैं तो कुछ नहीं कर रही हूं ।
सीमा - देखा जाए तो आप भी बहुत कुछ कर रही है , आपने अपने जन्मदिन पर खर्च होने वाले पूरे पैसे 'प्रधानमंत्री केयर फंड' में डालने के लिए पापा से कहा है न ,यह भी तो एक प्रकार का योगदान ही है ।

समवेत स्वर में - इस संक्रमण को रोकने के लिए और कोरोनावायरस को हराने के लिए, हम सबको अपने -अपने कर्तव्य का पालन करते हुए , अपने- अपने घरों में रहकर ही ,सरकार का पूरा पूरा सहयोग करना है। देश को बचाना है, कोरोनावायरस को हराना है ।
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