तुम इस तरह मत जाया करो.....बिना कहे
खामोशियाँ टूट कर बिखरने लगती हैं
अलफ़ाज़ हलक का रास्ता देखते हैं
आवाज़ रुक सी जाती है कलेजे में
कलम रिसने लगती है कागज़ पर
ख्याल बस एक रूह लिए भटकता है
कि नज़्म रास्ता ढूंढती है जिस्म पाने का
सुनो, तुम इस तरह मत जाया करो.....बिना कहे

Hindi Shayri by Vikash Raj : 12136

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now