मैं और मेरे अहसास

दुनिया की नजरों का सामना करने का हौसला और,
जिगर कहा से लायेगे यूँ रुसवा न करो सर-ए - बाजर.

इतने नहीं परेशान न हो साथ साथ चलने को सखा,
पर्दा डालके आयेगे यूँ रुसवा न करो सर-ए -बाजर.
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111877416

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