एक अकेला दुनिया का मेला,
खुद को कैसे संभालेगा..?
लू के गरम थपेड़ों से डर कर,
क्या वो अपने पथ से डिग जायेगा..?
या धीर वीर बन कर..
सारे तुफानों को सह कर,
अपनी मंजिल को पाएगा।

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