हर पल हर दिन
कतरा कतरा टूटती हूं ,
सुबह नई धूप बनकर फिर
महेक उठती हूं।
जाम बनकर तेरी रातों का
मईखाने मैं छलकती हूं,
खुश्बू से तेरा एहसास हो
बस
इसलिए ,
हर लबों पर प्यास बनकर ठहरती हूं।

-Heena

English Poem by Heena : 111868649

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