उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत, 🌈
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले। 👌👌🌺😊
कसा हुआ तीर हुस्न का, 🌻 ज़रा संभल के रहियेगा, 😲
नजर नजर को मारेगी, 👌 तो क़ातिल हमें ना कहियेगा। 🙃🙏🙃🙃
इश्क का जौके-नज़ारा मुफ्त को बदनाम है, 🙈
हुस्न खुद ही बेताब है जलवा दिखाने के लिए। 🌼🙌🌷🙌
अदा परियों की, 🌷 सूरत हूर की, 🥺 आंखें गिजालों की, 🙂
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की। 👌🌈🌥🌺
हुस्न की ये इन्तेहाँ नहीं है तो और क्या है, 😊
चाँद को देखा है हथेली पे आफताब लिए हुए। 🙏👌🌻🌈
फ़क़त इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें, 🙈
मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयाँ तक देखूँ। 🌻😎🌷🌈
हुस्न वालों को संवरने की जरूरत ही क्या है, 😲
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं। 🙈🌷😲🌥

Hindi Poem by Ravinder Sharma : 111867015

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now