चाकाचौध -
भौतिकता चकाचौंध है
निकलना बहुत जरूरी है
नैतिकता नियत हृदय शक्ति उजियार
नितान्त सिद्धांत विधान नहीं
सूरज निकलना अंधेरे का मर्दन
मान जगत काल सच्चाई भान।।
सूरज का आना अंधेरे का जाना
सूरज अंधेरो के बाद अस्तित्व
युग काल को समझाना सूरज कि
गरमी ज्वाला कि शान।।
अंधेरा जब भी आता बतलाता
जागृति हो मानव निद्रा में ही मत
खो जाना अन्वेषण अस्तित्व ही
पथ प्रकाश।।
भौतिकता चकचौध है जिसका
कोई नहीं मार्ग है चका चौंध ही
अन्धकार का मार्ग।।
जीवन की संस्कृति यही है
आचरण मर्यादा का मर्म
सत्य है चकाचौध से मुक्ति
का तथ्य तत्व सफल सन्मार्ग।।
अविरल निर्मल निर्झर निहस्वर्थ
निर्विकार चलता चल बढ़ता चल
मिल जाएगा परम् प्रकाश।।
ना उलझेगा ना जीत हार
की होगी वेदना जीवन कि
राहों का सफल विजेता समय
काल प्रणेता स्वयं सिद्ध उजियार।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।