छोटे से गाँव की बात है, सुमसान सी वो रात है
(आरोही ) उसका नाम है, जिसके दिमाग मैं छुपे कई राज है।
रात गहरी थी, वो अकेली थी
बचपन उसके दिमाग मैं था
बस! अब कुछ ही पल की देरी थी
हाँ, बचपन मैं की उसने कई गलतियाँ
लेकिन उसमे थी उसकी मस्तियाँ
पता नही फिर लोगो ने क्यों
डूबा दी उसकी कस्तिया?
वो रोती रही, अंदर से तुटती गई
दिन रात उसे बेचेनी होती रही
एक तरफ़ शादी का दबाव था तो
दूसरी तरफ असमान मैं उड़ने का जो ख्वाब था
इन दोनों के बीच वो कुछ यू पिसती रही
वो रोती रही, अंदर से तुटती गई
दिन रात उसे बेचेनी होती रही
दुनिया की बातो मैं आकर, माँ बाप ने भी उसे सुना दिया
तेरे सपनो के कारण ही, दुनिया का हमें सुनना पड़ा
माँ बाप की आँखों मैं उदासी वो देख ना सकी
परीवार की बात मानकर, सपनो की कुर्बानी दे ही दी
अपने सपनो को भूल जाना, इतना तो आसान नही
फिर उसकी क्या गलती थी की उसने कुछ और ही ठान ली
रात भर वो रोती रही, फ़िर भी फैसला ले ना सकी
अपने दिल की बात वो, माँ बाप को भी कह न सकी
रात के वो बारह बजे, टेरेस की और चल पड़ी
असमान और चाँदनी को देख
उसने छलांग लगानी ही चाहि
फिर उसके दिमाग मैं ख्याल आया
ऐसे तो मैं खुद को भी खो दूँगी
अभी तो मुझे सपनो को हासिल कर
दुनिया को भी दिखाना है
मुझे अपने पैरो पे खड़े होकर
बेटी का फ़र्ज़ भी निभाना है
वो खुब महेनत करने लग जाती है
फिर कामयाब होके दिखाती है
दुनिया आज परिवार से पूछती है
क्या, सच मैं आपकी बेटी इतना कमाती है?
माँ बाप और बेटी तीनो सर उठा के चलते है
दुनिया की नज़रों मैं उनके इमानदारी के ही चर्चे है
आज वो सभी लड़कियों के लिए inspiration बनती है
पापा से भी उसे जिंदगी जीने की permission मिलती है।।।
hiii everyone, मैं प्रिया तलाटी इस कविता को सभी लड़कियों को डेडिकैट करना चाहती हु। सभी लड़कियों को ये कहना चाहती हु टेरेस पर से छलांग लगाने से ज्यादा मजा लोगो को जलाने मैं आता है। इसलिए कभी हार मत मानिये और आगे बढ़ते रहिये। वैसे भी लोगो का काम है कहना वो लोग ही अकसर हमे बोलते है जो खुद अपनी ज़िंदगी मैं कुछ नही कर पाए। इसलिए उस पर ध्यान मत दो और हमेंशा खुश रहो। आप को मेरी कविता पसंद आई हो तो रेट देना मत भूलना।।। byee